चक्रवृद्धि ब्याज किसे कहते हैं

जब एक निश्चित समय के बाद दिया जाने वाला ब्याज जमाकर्ता को न देकर मूलधन में जोड़ दिया जाता हैं और प्राप्त मिश्रधन पर ब्याज लगाया जाता हैं तो इस प्रकार प्राप्त ब्याज चक्रवृद्धि ब्याज कहलाता हैं।

जहाँ :- C.I. = चक्रवृद्धि ब्याज A = मिश्रधन, P = मूलधन, r = ब्याज की वार्षिक दर, n = एक वर्ष में कुल ब्याज  की संख्या  t = कुल समय (वर्ष में)

चक्रवृद्धि ब्याज = (1 + दर / 100 )^समय – मूलधन चक्रवृद्धि ब्याज = मूलधन [(1 + दर / 100)^समय – 1] चक्रवृद्धि ब्याज = मिश्रधन – मूलधन मिश्रधन = मूलधन × (1 दर / 100)^समय मिश्रधन = मूलधन + ब्याज

चक्रवृद्धि ब्याज के सूत्र

चक्रवृद्धि ब्याज       दो वर्ष        तीन वर्ष 5%                  10.25%            15.76% 8%                  16.64%           25.97% 10%                    21%             33.10% 12%                25.44%           40.49% 15%                32.25%            52.09% 20%                 44%                 72.80% 25%                 56.25%            95.31%

ब्याज किसे कहते हैं

जब हम किसी बैंक या व्यक्ति से रूपये उधार लेते हैं तो उस उधार लिए गए धन को अपनी अच्छानुसार प्रयोग करने के बदले में हम बैंक या व्यक्ति को उधार लिए गए धन की रकम तथा कुछ अतिरिक्त धन देते हैं यह अतिरिक्त धन ही ब्याज कहलाता हैं।

ऋणदाता किसे कहते हैं

वह बैंक या व्यक्ति जिससे हम रुपया उधार लेते हैं, ऋणदाता या साहूकार कहलाता हैं।

समय किसे कहते हैं 

उधार लिया गया धन मूलधन कहलाता है।

वह निद्रिष्ट अवधि जब तक के लिए रुपया उधार लिया गया हो समय कहलाता है।

वापस की गई राशि अर्थात मूलधन और ब्याज के सम्मिलित रूप को मिश्रधन कहते हैं।

मूलधन किसे कहते हैं 

मिश्रधन किसे कहते हैं 

दर किसे कहते हैं 

किसी धन पर ब्याज की राशि मूलधन, समय की अवधि तथा ब्याज की दर पर निर्भर करती हैं।

मूलधन, समय तथा ब्याज की दर में निम्न प्रकार सम्बन्ध हैं।

1. ब्याज = (मूलधन × समय × दर )/100 2. मिश्रधन = मूलधन + ब्याज

चक्रवृद्धि ब्याज की ट्रिक्स

धन = अंतर × (100/दर)^समय Note :- यह सूत्र समय जहाँ 2 वर्ष हो, वही लागू होगा। A = P × (100 + %)/100 × (100 + %)/100 + …………… P = A × 100 + % / 100 × 100 / 100 + % + ……………