समाकलन किसे कहते हैं 

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यह एक विशेष प्रकार की योग क्रिया है जिसमें अत्यणु (Infinitesimal) मान वाली किन्तु गिनती में अत्यधिक चर राशियों को जोड़ा जाता है। इसका एक प्रमुख उपयोग वक्राकार क्षेत्रों का क्षेत्रफल तथा आयतन निकालने में होता है। समाकलन को अवकलन की व्युत्क्रम संक्रिया की तरह भी समझा जा सकता है।

समाकलन की परिभाषा 

समाकलन के सूत्र

∫x n∙dx = x⁽ⁿ⁺¹⁾/n + 1 + C ∫ex∙dx = ex+ C ∫e⁻x∙dx = -e⁻x + C ∫1/x∙dx = logx + C ∫Sinx∙dx = – Cosx + C ∫Cosx∙dx = Sinx + C ∫Tanx∙dx = log Secx + C ∫Cotx∙dx = log Sinx + C ∫Secx∙dx = log |Secx + Tanx | + C ∫Cosecx∙dx = log |Cosecx – Cotx | + C

– ∫1/√(1 – x²)∙dx = Sin⁻¹ x + C – ∫1/(1 + x²)∙dx = Tan⁻¹ x + C – ∫1x(√x² – 1)∙dx = Sec⁻¹ x + C – ∫1√(a² – x²)∙dx = Sin⁻¹ (x/a ) + C – ∫1√(x² – a²) ∙dx = log | x + √(x² + a²) | + C – ∫1√(x² – a²) ∙dx = log | x + √(x² + a²) | + C

∫√(a² – x²) ∙dx = x/2 √(a² – x²) + a²/2 Sin⁻¹( x/a ) + C ∫√(a² + x²)∙dx = x/2 √(a² + x²) + a² /2 log | x + √(x² + a²) | + C ∫√(x² – a²)∙dx = x/2 √(x² – a²) – a²/ 2 log | x + √(x² – a²) | + C ∫1/(a² – x²)∙dx = ½ a log | (a + x)/(a – x)| + C  ∫1/( (x² – a²)∙dx = ½ a log | (x – a)/(x + a)| + C

∫Sec²x∙dx = Tanx + C ∫Cosec²x∙dx = -Cotx + C ∫Secx ∙ Tanx∙dx  = Secx + C ∫Cosecx ∙ Cotx∙dx  = – Cosecx + C ∫K∙dx = Kx + C  (जहाँ K = अचर राशि ) ∫1/(x² + a²)∙dx  = 1/aTan⁻¹ x/a + C

प्रश्न1. sin2x

हल: हम जानते हैं कि  d/dx cos 2x = – 2 sin 2x या sin 2x = −1/2 d/dx cos2x sin 2x = d/dx (−1/2 cos2x) अतः sin 2x का प्रति अवकलज −1/2 cos 2x है।

प्रश्न 2. cos 3x

हल:- हम जानते हैं कि  d/dx sin 3x = 3 cos3x या cos3x = d/dx (1/3 sin 3x) अत: cos3x का प्रति अवकलज  1/3 sin 3x हैं।

प्रश्न 3. (ax + b)²

हल:- हम जानते हैं कि d/dx(ax + b)³ = 3a(ax + b)² (ax + b)² = d/dx[⅓ a(ax + b)³] अतः (ax + b)² का प्रतिअवकलज  1/3a (ax + b)³ हैं।

प्रश्न 4. ∫x² (1 – 1/x)

हल:-∫x²(1 – 1/x²) dx ∫x²(x² – 1/x²) dx ∫(x² – 1) dx ∫x² dx – ∫1 dx Ans. x³⁄₃ – x + C