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चलिए अब समान्तर चतुर्भुज की जानकारी को पढ़ते और समझते हैं।
समान्तर चतुर्भुज क्या हैं
जिस चतुर्भुज के आमने-सामने की भुजाएँ समान एवं समानान्तर हो समान्तर चतुर्भुज कहलाता हैं।
जिस चतुर्भुज की आमने-सामने की भुजाएँ समांतर एवं समरूप होती हैं उसे समान्तर चतुर्भुज कहते हैं।
दूसरे शब्दों में समांतर चतुर्भुज एक ऐसा चतुर्भुज हैं जिसके विपरीत भुजाएँ एक दूसरे के समान और समांतर होते हैं। इस चतुर्भुज का आंतरिक कोण भी एक दूसरे से बराबर होते हैं।
समान्तर चतुर्भुज में,
- ∠A + ∠D = 180
- ∠B + ∠C = 180
- ∠C + ∠D = 180
- ∠A + ∠B = 180
- भुजाएँ AD ∥ BC
- तथा DC ∥ AB
- भुजाओं की संख्या = 4
- शीर्षों की संख्या = 4
- समानांतर भुजाएँ = 2
समान्तर चतुर्भुज के सूत्र
- समान्तर चतुर्भुज का क्षेत्रफल = लम्बाई x चौड़ाई
समान्तर चतुर्भुज का दूसरा क्षेत्रफल = a b sin A = b a sin B
जहाँ a और b भुजाएँ तथा A और B कोण है।
- समान्तर चतुर्भुज का परिमाप = 2 (लम्बाई + चौड़ाई)
जहाँ a और b चतुर्भुज की भुजाएँ है।
समान्तर चतुर्भुज की विशेषताएं
- आमने सामने की भुजाएं बराबर और समान्तर होती हैं।
- विकर्ण एक दूसरे को समद्विभाजित करते हैं।
- आमने सामने के कोण बराबर होते हैं।
- विकर्ण आमने सामने के कोण को समद्विभाजित करते हैं।
- प्रत्येक आयत समान्तर चतुर्भुज होता हैं।
- विपरीत भुजाएँ समानांतर और सर्वांगसम होते हैं।
- समांतर चतुर्भुज के विकणों के कोण बराबर होते हैं।
- प्रत्येक समचतुर्भुज समान्तर चतुर्भुज होता हैं।
- विपरीत कोण भी सर्वांगसम होते हैं।
- विकर्ण आमने सामने के कोण को समद्विभाजित करते हैं।
- प्रत्येक वर्ग समान्तर चतुर्भुज होता हैं।
- यदि कोणों में से कोई एक समकोण है, तो अन्य सभी कोण समकोण होता हैं।
- आयत व वर्ग को छोड़कर प्रत्येक समांतर चतुर्भुज के विकर्ण आपस में बराबर नहीं होते हैं।
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