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चलिए आज हम वृत्त की परिभाषा, सूत्र, विशेषताएँ और उदाहरण की समस्त जानकारी को पढ़ते और समझते हैं।
Table of Contents
वृत्त क्या हैं
वह घिरा हुआ तल जो एक निश्चित बिंदु से हमेशा समदूरस्थ होता हैं वृत्त कहलाता हैं। अर्थात किसी निश्चित बिंदु से समान दूरी पर स्थित बिंदुओं का बिन्दुपथ वृत्त कहलाता हैं। वृत्त के वक्र समतल आतंरिक एवं बाह्य को दो भागों में विभाजित किया जाता हैं।
वृत्त एक ऐसी बिंदु का बिंदुपथ हैं, जो इस तरह घूमता हैं कि उसकी दूरी एक स्थिर बिंदु से सदैव बराबर रहती हैं स्थिर बिंदु को वृत्त का केंद्र, अचल दूरी को वृत्त की त्रिज्या तथा बिंदु पथ को परिधि कहते हैं।
केंद्र से गुजरने वाली वह सीधी रेखा जो वृत्त को दो बराबर भागों में विभक्त करती हैं वृत्त का व्यास कहलाती हैं वृत्त का व्यास उसकी त्रिज्या का दोगुना होता हैं।
किसी वृत्त की परिधि की लम्बाई उसकी व्यास की लम्बाई की लगभग 22/7 गुना होती हैं इसे ग्रीक अक्षर π द्वारा प्रदर्शित किया जाता हैं अक्षर π को हिंदी में पाई पढ़ा जाता हैं।
जहाँ π = परिधि/व्यास = 22/7 = 3.1428571 होता हैं।
वृत्त के सूत्र
- वृत्त का व्यास = 2r
- वृत्त की परिधि = 2πr
- वृत्त की परिधि = πd
- वृत्त का क्षेत्रफल = πr²
- वृत्त की त्रिज्या = √वृत्त का क्षेत्रफल/π
वृत्त के भाग
एक वृत्त में पदों और उनके गुणों के आधार पर अलग-अलग भाग होते हैं चलिए नीचे दिए विभिन्न भागों को पढ़ते और समझते हैं।
- केंद्र
- त्रिज्या
- व्यास
- अर्द्धवृत्त
- स्पर्श रेखा
- चाप
- जीवा
- त्रिज्याखण्ड
- वृत्तखण्ड
- परिधि
- छेदक
1. केंद्र किसे कहते हैं
वह बिंदु जो वृत्त के सभी बिंदुओं से समान दूरी पर स्थिर होता है।
अर्थात वह निश्चित बिंदु जो वृत्त के मध्य स्थिर होता है केंद्र कहलाता है।
2. त्रिज्या किसे कहते हैं
वृत्त में केंद्र से परिधि तक की दूरी को त्रिज्या कहते है। वृत्त में असंख्य त्रिज्याएँ होती है। सभी की लम्बाई आपस में समान होती है।
3. व्यास किसे कहते हैं
वृत्त की दो बराबर भागों में बांटने वाली रेखाखंड को व्यास कहते है।
अर्थात वृत्त में दो बिंदुओं के बीच की सबसे बड़ी दूरी व्यास कहलाती है। यह वृत्त की सबसे बड़ी जीवा भी होती है जो त्रिज्या की दोगुनी होती है।
4. अर्द्धवृत्त किसे कहते हैं
किसी वृत का अर्ध भाग अर्द्धवृत्त कहलाता हैं। इसके चाप के अन्तिम दोनों बिन्दुओं को केन्द्र से जोड़ने वाली रेखाएँ मिल कर एक ऋजु रेखा का निर्माण करती हैं।
अर्द्धवृत्त के कोण का मान सदैव 180° होता हैं। यही कोण की रेखा व्यास कहलाती है।
जब एक रेखा वृत्त की परिधि के दो बिंदु को मिलाते हुए ऐसे रेखा खीचीं जाये कि वह उस वृत्त के केन्द्र से गुजरे तो उसे व्यास रेखा कहते हैं।
अर्द्धवृत्त के सूत्र
- अर्द्ववृत्त की परिमिति = (n + 2)r = (π + 2)d/2
- अर्द्ववृत्त का क्षेत्रफल = 1/2πr² = 1/8 πd²
5. स्पर्श रेखा किसे कहते हैं
किसी वृत्त के एक बिंदु से गुजरने वाला रेखा स्पर्श रेखा कहलाती है।
अर्थात वह रेखा जो केवल वृत्त के बाह्य बिंदु को स्पर्श करता हो स्पर्श रेखा कहलाता है।
6. चाप किसे कहते हैं
परिधि पर स्थित किन्हीं दो बिंदुओं को मिलाने वाली सीधी रेखा को वृत्त की चाप कहते हैं।
7. जीवा किसे कहते हैं
वृत्त के किसी दो हिस्सों में विभाजित करने वाली रेखाखंड जीवा कहलाती है। अथवा वृत्त के एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक जाने वाली रेखाखंड को जीवा कहते है।
8. त्रिज्याखण्ड किसे कहते हैं
वृत्त की दो त्रिज्याओं और संगत चाप से घिरे क्षेत्र को त्रिज्याखण्ड कहते हैं।
त्रिज्याखण्ड को मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया गया हैं।
- लघु त्रिज्याखण्ड
- दीर्घत्रिज्याखण्ड
Note :-
- केन्द्रीय कोण पुनर्युक्त हो तो दीर्घ त्रिज्याखण्ड बनता हैं।
- यदि केन्द्रीय कोण न्यूनकोण या अधिककोण हो तो लघु त्रिज्याखण्ड बनता हैं।
त्रिज्याखण्ड के सूत्र
- त्रिज्याखण्ड का क्षेत्रफल = θ/360° × वृत्त क्षेत्रफल = θ/360° × πr²
- त्रिज्याखण्ड की परिमिति = (2 + πθ/180°)r
- वृतखण्ड का क्षेत्रफल = (πθ/360° – 1/2 sinθ)r²
- वृतखण्ड की परिमिति = (L + πrθ)/180° , जहाँ L = जीवा की लम्बाई
- चाप की लम्बाई = θ/360° × वृत्त की परिधि
- चाप की लम्बाई = θ/360° × 2πr
- दो संकेन्द्रीय वृत्तों जिनकी त्रिज्याए R₁, R₂, (R₁ ≥ R₂) हो तो इन वृत्तों के बीच का क्षेत्रफल = π(r²₁ – r²₂)
9. वृत्तखण्ड किसे कहते हैं
वृत्त के एक जीवा और सांगत के चाप से घिरा क्षेत्र वृत्तखंड कहलाता है इसे सामान्यतः दो भागों में बाँटा गया है।
जैसे :-
- लघु त्रिज्याखण्ड
- दीर्घ त्रिज्याखण्ड
10. परिधि किसे कहते हैं
वृत्त को घेरने वाली वक्र रेखा की लम्बाई परिधि कहलाती है अर्थात वृत्त के बाहरी घेरे को परिधि कहा जाता हैं।
11. छेदक किसे कहते हैं
किसी भी वृत्त के दो बिन्दुओं से गुजरने वाली रेखा छेदक कहलाती है अर्थात वह रेखा जो वृत्त के दो अलग-अलग बिन्दुओं पर प्रतिच्छेद करती हो वह छेदक कहलाती हैं।
वृत्त की विशेषताएँ
- वृत्त के एक बिन्दु पर केवल एक ही स्पर्श रेखा होती हैं।
- किसी वृत्त की स्पर्श रेखा छेदक रेखा की एक विशिष्ट स्थिति हैं।
- वृत्त के अंदर स्थित किसी बिन्दु से जाने वाली रेखा स्पर्श रेखा नहीं होती हैं।
- किसी बाह्य बिदु से वृत्त पर केवल दो स्पर्श रेखाएँ खिंची जा सकतीं हैं।
- व्यास द्वारा परिधि के किसी भी बिंदु पर अंतरित कोण समकोण होता हैं।
- जीवा पर केन्द्र से डाला गया लम्ब जीवा को समद्विभाग करती हैं।
- केंद्र से होकर जाने वाली जीवा वृत्त की सबसे बड़ी जीवा होती हैं।
- किसी वृत्त का व्यास वृत्त को दो सामान भागों में विभाजित करता हैं।
- त्रिज्या व्यास की आधी होती हैं।
- किसी वृत्त में त्रिज्याओं की संख्या अनंत होती हैं।
- वृत्त का व्यास वृत्त को दो समान भाग में विभाजित करता है जिसे अर्धवृत्त कहा जाता हैं।
- तीन असंरेख बिन्दुओं से केवल और केवल एक वृत्त बनाया जा सकता हैं।
व्रत के सवाल
Q.1 100 यदि किसी वृत्त का परिमाप और क्षेत्रफल का माप समान हो, तो वृत्त का अर्ध व्यास हैं?
A. π इकाई
B. 7 इकाई
C. 4 इकाई
D. 2 इकाई
हल:- प्रश्नानुसार,
2πr = πr²
r = 2 इकाई
Ans. 2 इकाई
Q.2 एक व्रत की त्रिज्या को दुगुना कर दिया जाए तो उसका क्षेत्रफल मूल वृत्त के क्षेत्रफल का कितना गुना होगा?
A. 2 : 1
B. 3 : 1
C. 4 : 1
D. 8 : 1
हल:- प्रश्नानुसार,
यदि वृत्त की प्रारंभिक त्रिज्या = r²
परिणामी त्रिज्या = 2r
मूल वृत्त का क्षेत्रफल = πr²
परिणामी वृत्त का क्षेत्रफल = π(2r)²
= 4πr²
अभीष्ट अनुपात = 4πr²/πr²
= 4 : 1
Ans. 4 : 1
Q.3 यदि किसी व्रत की त्रिज्या दूनी कर दी जाए तो नए वृत्त की परिधि तथा व्यास में क्या अनुपात होगा?
A. π + 2
B. π/2
C. π
D. 2π
हल:- प्रश्नानुसार,
माना, वृत्त की त्रिज्या = r
वृत्त की त्रिज्या = 2πr
वृत्त की त्रिज्या = 2r
वृत्त की परिधि = 2.2 πr
= 4 πr
नए वृत्त का व्यास = 2.2r
= 4r
अनुपात = 4πr/4r
= π
Ans. π
Q.4 10 सेंटीमीटर त्रिज्या वाले व्रत की त्रिज्या 4 सेंटीमीटर कम कर दी गई हैं तो क्षेत्रफल हास का प्रतिशत होगा?
A. 36%
B. 40%
C. 64%
D. 98%
हल:- प्रश्नानुसार,
क्षेत्रफल में ह्रास का प्रतिशत
= π(10)² – π(6)²/π(10)²
= (100 π – 36 π)/100π
= 64%
Ans. 64%
Q.5 यदि किसी व्रत की त्रिज्या में 50% कमी कर दी जाए तो उसका क्षेत्रफल कम होगा?
A. 25%
B. 20%
C. 75%
D. 100%
हल:- प्रश्नानुसार,
माना कि वृत्त की त्रिज्या = r
क्षेत्रफल = πr²
नए वृत्त की त्रिज्या = r/2
क्षेत्रफल = π r²/4
= (π r² – π r²/4)/πr² × 100
= 75%
Ans. 75%
Q.6 यदि किसी वृत्त की त्रिज्या में 100% की वृद्धि की जाए, तो उसके क्षेत्रफल में कितने प्रतिशत की वृद्धि होगी?
A. 200%
B. 300%
C. 400%
D. 900%
हल:- प्रश्नानुसार,
माना त्रिज्या = a
क्षेत्रफल = πa²
वृद्धि के बाद त्रिज्या = 2a
क्षेत्रफल = 4πa²
% वृद्धि = 3πa²/πa² × 100
= 300%
Ans. 300%
Q.7 यदि एक व्रत के अर्धव्यास में 50% की कमी कर दी जाए तो उसकी परिधि में कमी हो जाएगी?
A. 25%
B. 50%
C. 75%
D. 100%
हल:- प्रश्नानुसार,
माना वृत्त का अर्द्ध व्यास = त्रिज्या
वृत्त की परिधि = 2πr
अर्द्ध व्यास = r/2
वृत्त की परिधि = 2π r/2
= πr
परिधि में % कमी = 2πr – πr/2πr × 100
= πr/2πr × 100
= 50%
Ans. 50%
Q.8 40 सेंटीमीटर व्यास वाले एक पहिए द्वारा 176 मीटर दूरी तय करने में लगाए गए चक्करों की संख्या होगी?
A. 140
B. 150
C. 160
D. 166
हल:- प्रश्नानुसार,
पहिए द्वारा एक चक्कर में चली दूरी = 22/7 × 40
= 880/7 सेंटीमीटर
176 मीटर चलने में लगे चक्करों की संख्या
= 176 मीटर चलने में लगे चक्करों की संख्या
= 17600 × 7/880
= 140 चक्कर
Ans. 140 चक्कर
Q.9 एक वृतीय अंगूठी की आंतरिक तथा बाह्य परिधियां क्रमशः 22 सेंटीमीटर तथा 44 सेंटीमीटर हैं। अंगूठी की चौड़ाई होगी?
A. 3.5
B. 3
C. 11
D. 22
हल:- प्रश्नानुसार,
माना कि वृत्त की त्रिज्याएँ r₁ तथा r₂ हैं।
2π(r₂ – r₁)
44 – 22
r₂ – r₁ = 22 × ⁷⁄₂ × 22
= ⁷⁄₂
= 3.5
Ans. 3.5 सेंटीमीटर
Q.10 दो समकेंद्रीय व्रतों की परिधियां क्रमशः 352 सेंटीमीटर तथा 262 सेंटीमीटर हैं। उनकी त्रिज्याओं का अंतर होगा?
A. 5 सेंटीमीटर
B. 7 सेंटीमीटर
C. 14 सेंटीमीटर
D. 44 सेंटीमीटर
हल:- प्रश्नानुसार,
माना त्रिज्याएँ R तथा r सेंटीमीटर हैं।
2πR – 2pr
352 – 264
R – r = 14 सेंटीमीटर
Ans. 14 सेंटीमीटर
उम्मीद हैं आपको वृत्त की जानकारी पसंद आयी होगीं।
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