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Maths Formulas for Class 7 in Hindi

Maths Formulas for Class 7

नमस्कार दोस्तों, आज के इस पेज पर हम Maths Formulas for Class 7 की समस्त जानकारी पढ़ने वाले हैं तो पोस्ट को पूरा जरूर पढ़िए।

Class 7 Maths Formulas

  1. संख्या प्रणाली
  2. पूर्णांक संख्या
  3. भिन्न
  4. दशमलव
  5. प्रतिशत
  6. साधारण ब्याज
  7. क्षेत्रमिति
  8. बीजगणित
  9. अनुपात और अनुपात

अध्याय – 1
संख्या प्रणाली

(i). प्राकृत संख्याएं :- गिनती की प्रक्रिया को प्राकृत संख्या कहा जाताहैं।

जैसे :- 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, . . . . ∞ (अनंत तक)

Note :-

(ii). पूर्ण संख्याएं :- प्राकृत संख्या के समूह में शून्य को सम्मिलित करने पर जो संख्याएँ प्राप्त होती हैं वे पूर्ण संख्याएँ कहलाती हैं।

जैसे :- 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, . . . ∞

Note :-

(iii). पूर्णाक संख्याएं :- प्राकृत संख्याओं के समूह में शून्य एवं ऋणात्मक संख्याओं को शामिल करने पर जो संख्याएँ प्राप्त होती हैं, वे संख्याएँ पूर्णांक संख्या कहलाती हैं।

जैसे :- -3, -2, -1, 0, 1, 2, 3, . . .

Note :-

I+ = 0, 1, 2, 3, 4, 5… इस प्रकार के संख्या को धनात्मक पूर्णांक तथा I– = -1, -2, -3, -4, -5…. एस प्रकार के संख्या को ऋणात्मक पूर्णांक संख्या कहा जाता है।

शून्य (0) न तो धनात्मक और न ही ऋणात्मक पूर्णांक संख्या है।

अधिक जानकारी के लिए संख्या पद्धति की जानकारी पढ़िए।

अध्याय – 2
पूर्णांक संख्या

यह फार्मूला क्लास 7 में सबसे अधिक संख्याओं को हल करने के लिए उपयोग होता है इसलिए नियम को याद रखे।

क्रमविनिमय नियम (Commutative law)यदि a और b दो परिमेय संख्याएँ हो, तो
1. योग का क्रमविनिमय नियमa + b = b + a
2. गुणात्मक क्रमविनिमय नियमa × b = b × a
साहचर्य नियम (Associative law)यदि a ,b और c तीन परिमेय संख्याएँ हो, तो
1. योगात्मक साहचर्य नियम(a +b) + c = a + (b + c)
2. गुणात्मक साहचर्य नियम(a × b) × c = a × (b × c)
प्रतिलोम अवयव का अस्तित्व (Existence of inverse elements)यदि a एक परिमेय संख्या है, तो
1. a + (-a) = (-a) + a = 0यहाँ a का योज्य प्रतिलोम -a है.
2. a ×1/a = 1/a × a = 1यहाँ a का गुणात्मक प्रतिलोम 1/a होता है.
वितरण नियम (Distributive law)यदि a ,b और c तीन परिमेय संख्याएँ हो, तो
1. योगात्मक वितरण नियमa (b + c) = a b + a c
2. गुणात्मक वितरण नियम(a +b ) c = a c + b c

अधिक जानकारी के लिए पूर्णांक संख्या की समस्त जानकारी पढ़िए।

अध्याय – 3
भिन्न

जब किसी राशि को कई बराबर भागों में बांटकर उनमें से कुछ भाग लिया जाए तो उसे भिन्न कहाँ जाता हैं। यदि कोई संख्या x/y के रूप में हो, तो उसे भिन्न कहते हैं। यहाँ x और y दो पूर्णांक संख्या हैं।

जैसे :- 2/3, 4/5, 6/7, 7/8, 910

भिन्न के प्रकार

भिन्नों को मुख्यतः तीन प्रकार से जाना जाता हैं।

1. साधारण भिन्न

जब किसी संख्या का पूर्ण भाग किसी संख्या में नही जाता हैं तो उसे हम साधारण भिन्न कहते हैं। जैसे 4 में 5 से भाग दिया जाए तो इसका पूरा भाग नहीं जाता हैं।

उदहारण :- 2/3, 4/5, 2/7, 8/13, 5/17

अतः 2/3, 4/5, 2/7, 8/13, 5/17 एक साधारण भिन्न हैं।

साधारण भिन्न तीन प्रकार की होती हैं।

(a). उचित भिन्न :- ऐसे भिन्न जिसमें हर अंश की अपेक्षा छोटा हो साधारण भिन्न कहलाता हैं।

उदहारण :- 2/3, 5/7, 11/13, 29/33

(b). अनुचित भिन्न :- ऐसा भिन्न जिसमें अंश, हर की उपेक्षा बड़ा हो अनुचित भिन्न कहलाता हैं।

उदहारण :- 7/4, 11/3, 48/5, 105/29

(c). मिश्रित भिन्न :- ऐसा भिन्न जिसमें साधारण संख्या और उचित भिन्न का मिश्रण हो उसे मिश्रित भिन्न कहा जायेगा। और अनुचित भिन्न को हल करने पर मिश्रित भिन्न प्राप्त होता हैं।

उदहारण :- 3 ½, 5 ¼

2. दशमलव भिन्न

दशमलव भिन्न ऐसा भिन्न होता हैं जिसका हर 10 या 10 की कोई घातों के रूप में हो, उसे दशमलव भिन्न कहते हैं।

उदहारण :- 4/10, 16/100, 64/1000

दशमलव भिन्न 2 प्रकार के होते हैं।

(a). साधारण आवृत दशमलव भिन्न :- ऐसा भिन्न जिसमे दशमलव बिंदु के बाद सभी अंक की पुनरावृत्ति होती हैं, उसे साधारण आवृत दशमलव भिन्न कहते हैं।

उदाहरण :- 3.1515151515…………………..3.15

(b). मिश्रित आवृत दशमलव भिन्न :- ऐसा दशमलव भिन्न जिसमें दशमलव बिंदु के बाद 1 या 2 अंकों के बाद वालें अंको की पुनरावृत्ति होती हैं उसे मिश्रित आवृत दशमलव भिन्न कहते हैं।

उदाहरण :- 0.24343434343434…………………..0.243

3. सतत/वित्तत/लगड़ी भिन्न

इस प्रकार की भिन्न की कोई निश्चित परिभाषा नहीं होती क्योंकि इसके अंश और हर में कोई निश्चित नियम लागू नहीं होता हैं।

उदाहरण :- 1/2/3/4/5

अधिक जानकारी के लिए भिन्न की समस्त जानकारी पढ़िए।

अध्याय – 4
दशमलव

किसी दशमलव वाले संख्या को भिन्न में बदलने के लिए दशमलव के बाद जितनी संख्या होती है उतनी ही संख्या 1 के बाद रखकर उस संख्या में भाग किया जाता है.

जैसे :- 0.1235

दशमलव के बाद चार संख्या है। अतः 0.1235 x 10000 = 1235/1000

इसी प्रकार,

इसके साथ-साथ भिन्न का जोड़, घटाव, गुणा और भाग ज्ञात करना पता होना चाहिए।

अध्याय – 5
प्रतिशत

प्रतिशत शब्द दो शब्दों (प्रति + शत = प्रतिशत) से मिलकर बना हैं। प्रति का अर्थ हैं “प्रत्येक सौ में एक” तथा प्रतिशत का शाब्दिक अर्थ प्रति सैकड़ा या शतांश या सौवें भाग होता हैं।

10 प्रतिशत का अर्थ हैं प्रत्येक सौ में 10 यानि 10/100

प्रतिशत को % के द्वारा प्रदर्शित किया जाता हैं। इसकी कोई इकाई जैसे रु, मीटर, किलोग्राम, लीटर आदि नहीं होती हैं।

जैसे :- % = ¹⁄₁₀₀

उदाहरण :- माना कि, गणित के पेपर का पूर्णांक 100 हैं किसी छात्र ने 94 अंक प्राप्त किए तो कह सकते हैं कि उस छात्र को 94/100 = 94 प्रतिशत (94%) अंक मिले।

प्रतिशत के सूत्र

अधिक जानकारी के लिए प्रतिशत की समस्त जानकारी पढ़िए।

अध्याय – 6
साधारण ब्याज

जब ब्याज केवल मूलधन पर निश्चित समय के लिए एक ही दर पर लगाया जाता हैं तो उसे साधारण ब्याज कहते हैं।

साधारण ब्याज के सूत्र

अधिक जानकारी के लिए साधारण ब्याज की समस्त जानकारी पढ़िए।

अध्याय – 7
क्षेत्रमिति

क्षेत्रमिति गणित की एक ऐसी शाखा हैं जो मापन संबंधित क्रियाओं को पूर्ण करती हैं। मापन में विशेष रूप से यह ज्यामितीय आकृतियों के क्षेत्रफल, आयतन, एवं परिमिति या परिमाप के सूत्रों एवं उनके प्रयोग से संबंध रखती हैं।

क्षेत्रमिति के अंतर्गत हम द्विविमीय और त्रिविमीय आकृति के बारे में पड़ते है। जहाँ हम आयतन, क्षेत्रफल, परिमाप या परिमिति आदि को निकालना सीखते है।

द्विविमीय आकृतियां :- आयत, वर्ग, त्रिभुज, समकोण त्रिभुज, समद्विबाहु त्रिभुज, समबाहु त्रिभुज, विषमबाहु त्रिभुज आदि।

त्रिविमीय आकृतियां :- घन, घनाभ, बेलन, शंकु, गोला, शंकु का छिन्नक आदि।

क्षेत्रमिति में हम क्षेत्रफल, परिमाप, आयतन आदि को निकालना सीखते है।

क्षेत्रमिति के सूत्र

अधिक जानकारी के लिए क्षेत्रमिति की समस्त जानकारी पढ़िए।

अध्याय – 8
बीजगणतीय सर्वसमिकाए

बीजगणतीय सर्वसमिकाए

अधिक जानकारी के लिए बीजगणतीय सर्वसमिकाए की समस्त जानकारी पढ़िए।

अध्याय – 9
अनुपात और अनुपात

जब दो सजातीय राशियों की तुलना भाग की क्रिया द्वारा की जाती हैं तो प्राप्त भागफल को अनुपात कहा जाता हैं।

गणित में अनुपात एक ऐसी संख्या है जो दो सजातीय राशियों अर्थात समान राशियों के बीच के संबंध को दर्शाती हैं। इससे यह पता चलता हैं कि एक राशि की अपेक्षा दूसरी राशि कितनी गुना कम या ज्यादा हैं।

अनुपात को प्रदर्शित करने के लिए संकेत (:) का प्रयोग किया जाता हैं। असमान राशियों में अनुपात नहीं होता है।

यदि a तथा b दो सजातीय राशियां हो, तो a तथा b के अनुपात को a/b या a : b के रूप में लिखा जाता हैं और a अनुपात b पढ़ा जाता हैं।

अनुपात में दोनों राशियों को पद कहा जाता हैं पहली राशि पूर्व पद या प्रथम पद और दूसरी राशि उत्तर पद या द्वितीय पद कहलाती हैं।

नोट :- ‘a ‘ पूर्व पद तथा ‘ b ‘ उत्तर पद हैं।

जैसे :- a : b

अनुपात और समानुपात के सूत्र

1. पहली संख्या = (दूसरी × तीसरी)/चौथी

2. दूसरी संख्या = (पहली × चौथी)/तीसरी

3. तीसरी संख्या = (पहली × चौथी)/दूसरी

4. चौथी संख्या = (दूसरी संख्या × तीसरी संख्या)/पहली संख्या

5. यदि A : B = x : y, B : C = y : z हो, तो A : C = A/B × B/C = x/y × y/z = x : z

6. A : B = a : b तथा B : C = c : d हो, तो A : B : C = a : b
c : d/(ac : bc : bd)

7. A : B = a : b, B : C = c : d, C : D = x : y हो, तो A : B : C : D = ac : bc : bd
x : y/(acx : bcx : bdx : bdy)

8. x को a : b के अनुपात में बांटा जाए, तो

(i). पहला भाग = x × a/(a + b)
(ii). दूसरा भाग = x × b/(a + b + c)
(iii). तीसरा भाग = x × c/(a + b + c)

9. यदि किसी थैला में x रु. y रु. और z रु. के नोट a : b : c के अनुपात में हो तथा नोटों का कुल मूल्य A रु. हो, तो

(i). x रु. के नोटों की संख्या = a/(xa + yb + zc) × A
(ii). y रु. के नोटों की संख्या = b/(xa + yb + zc) × A
(iii). z रु. के नोटों की संख्या = c/(xa + yb + zc) × A

10. संख्याएँ a, b, c और d में क्या जोड़ा या घटाया जाए कि वे समानुपाती हो जाए, तो अभीष्ट जोड़े या घटाया जाने वाला अंक = (bc – ad)/(a + b) – (b – c)

अधिक जानकारी के लिए अनुपात और अनुपात की समस्त जानकारी पढ़िए।

उम्मीद हैं आपको Maths Formulas for Class 7 की पोस्ट पसंद आयी होगी।

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